विशेष मिट्टी की पत्तियों से बनी चाय (Tea) की सौंधी खुशबू के शौकीन उपभोक्ता प्रतिदिन 500 कप चाय पीते हैं।

एक समय था जब चाय बनाने के लिए स्टील या एल्युमीनियम के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे इसमें बदलाव आने लगा और अब लोग चाय को स्वादिष्ट बनाने के लिए मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करने लगे हैं। खास बात यह है कि मिट्टी के बर्तनों में बनी चाय की सोंधी खुशबू लोगों को खूब पसंद आती है. इस वजह से मिट्टी के तवे में चाय बनाने का चलन बढ़ गया है.

अगर आप भी मिट्टी की कढ़ाई में बनी Tea पीने के शौकीन हैं तो आपको कटिहार जिला मुख्यालय स्थित अंबेडकर चौक पर जरूर आना चाहिए। दार्जिलिंग की विशेष चाय की पत्तियों की चाय यहां कई वर्षों से परोसी जाती रही है। इस दुकान के मालिक गौतम यादव ने बताया कि यहां सुबह से शाम तक लोग चाय की चुस्कियां लेने आते रहते हैं. वह हर दिन 500 कप चाय बेचते हैं।

भीड़भाड़ वाले इलाके में दुकान होने से फायदा होता है.

गौतम यादव ने बताया कि वह अंबेडकर चौक के पास Tea की दुकान लगाता है. यहां से सिविल कोर्ट, समाहर्ता कार्यालय और बीएमपी जवानों के बैरक नजदीक हैं. जिससे लोगों की भीड़ लग जाती है। अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक यहां Tea पीने आते हैं. मिट्टी के बर्तनों में बेहतरीन चाय बनाई जाती है, इसलिए लोग इसे पसंद करते हैं। गौतम ने कहा कि पहले देखा जाता था कि पूर्वज मिट्टी के बर्तन में दूध और दही रखते थे. यह देखकर मुझे एक आइडिया आया और मैंने मिट्टी के बर्तनों में चाय बनाना शुरू किया और ग्राहकों को यह बहुत पसंद आई।

प्रतिदिन 500 कप चाय बिकती है

चाय की चुस्की लेने आये युवाओं व बीएमपी जवानों ने बताया कि वे लोग प्रतिदिन यहां चाय की चुस्की लेने आते हैं. मिट्टी के बर्तनों में बनी चाय का स्वाद ही अलग होता है। दुकानदार गौतम यादव ने बताया कि वह ग्रामीण इलाकों में किसानों से शुद्ध दूध खरीदते हैं. प्रतिदिन 400 से 500 कप चाय बिकती है। वहीं, ग्राहकों को 10 रुपये प्रति कप के हिसाब से चाय परोसी जाती है। उन्होंने बताया कि पार्टनर द्वारा दार्जिलिंग से विशेष चाय की पत्तियां मंगवाई जाती है और मिट्टी के बर्तनों में उससे चाय बनाकर ग्राहकों को दी जाती है.

विशेष मिट्टी की पत्तियों से बनी चाय (Tea) की सौंधी खुशबू के शौकीन उपभोक्ता प्रतिदिन 500 कप चाय पीते हैं।

एक समय था जब चाय बनाने के लिए स्टील या एल्युमीनियम के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे इसमें बदलाव आने लगा और अब लोग चाय को स्वादिष्ट बनाने के लिए मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करने लगे हैं। खास बात यह है कि मिट्टी के बर्तनों में बनी चाय की सोंधी खुशबू लोगों को खूब पसंद आती है. इस वजह से मिट्टी के तवे में चाय बनाने का चलन बढ़ गया है.

अगर आप भी मिट्टी की कढ़ाई में बनी Tea पीने के शौकीन हैं तो आपको कटिहार जिला मुख्यालय स्थित अंबेडकर चौक पर जरूर आना चाहिए। दार्जिलिंग की विशेष चाय की पत्तियों की चाय यहां कई वर्षों से परोसी जाती रही है। इस दुकान के मालिक गौतम यादव ने बताया कि यहां सुबह से शाम तक लोग चाय की चुस्कियां लेने आते रहते हैं. वह हर दिन 500 कप चाय बेचते हैं।

भीड़भाड़ वाले इलाके में दुकान होने से फायदा होता है.

गौतम यादव ने बताया कि वह अंबेडकर चौक के पास Tea की दुकान लगाता है. यहां से सिविल कोर्ट, समाहर्ता कार्यालय और बीएमपी जवानों के बैरक नजदीक हैं. जिससे लोगों की भीड़ लग जाती है। अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक यहां Tea पीने आते हैं. मिट्टी के बर्तनों में बेहतरीन चाय बनाई जाती है, इसलिए लोग इसे पसंद करते हैं। गौतम ने कहा कि पहले देखा जाता था कि पूर्वज मिट्टी के बर्तन में दूध और दही रखते थे. यह देखकर मुझे एक आइडिया आया और मैंने मिट्टी के बर्तनों में चाय बनाना शुरू किया और ग्राहकों को यह बहुत पसंद आई।

प्रतिदिन 500 कप चाय बिकती है

चाय की चुस्की लेने आये युवाओं व बीएमपी जवानों ने बताया कि वे लोग प्रतिदिन यहां चाय की चुस्की लेने आते हैं. मिट्टी के बर्तनों में बनी चाय का स्वाद ही अलग होता है। दुकानदार गौतम यादव ने बताया कि वह ग्रामीण इलाकों में किसानों से शुद्ध दूध खरीदते हैं. प्रतिदिन 400 से 500 कप चाय बिकती है। वहीं, ग्राहकों को 10 रुपये प्रति कप के हिसाब से चाय परोसी जाती है। उन्होंने बताया कि पार्टनर द्वारा दार्जिलिंग से विशेष चाय की पत्तियां मंगवाई जाती है और मिट्टी के बर्तनों में उससे चाय बनाकर ग्राहकों को दी जाती है.