Hanuman Ji: भगवान हनुमान का कर्नाटक से क्या संबंध है? जानिए इसकी दिलचस्प वजह

भगवान हनुमान का कर्नाटक से कनेक्शन

रामभक्त हनुमान को संकटमोचन कहा जाता है। मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति भगवान राम का आशीर्वाद लेना चाहता है उसे बजरंगबली की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हनुमानजी की अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति भगवान राम के पास नहीं जा सकता है। हनुमान जी की प्रतिदिन पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता के अनुसार हनुमानजी कलयुग में साक्षात विद्यमान हैं और अपने भक्तों की समस्याएं सुनते हैं। वैसे तो बजरंगबली की पूजा पूरे भारत में की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रामभक्त हनुमान का कर्नाटक से क्या खास कनेक्शन है? अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे कि हनुमानजी का कर्नाटक से क्या संबंध है।

हनुमानजी का कर्नाटक से क्या संबंध है?

दरअसल, अंजनी पर्वत कर्नाटक के कोप्पल और बेल्लारी में है, जिसे किष्किंधा के नाम से भी जाना जाता है। किष्किन्धा का उल्लेख त्रेता युग में भी मिलता है। चूँकि माता अंजनी ने अपने पुत्र हनुमान के लिए अंजनी पर्वत पर कठोर तपस्या की थी, इसलिए इस स्थान को राम भक्त हनुमान के जन्म से जोड़ा जाता है।

अंजनी पर्वत कैसा दिखता है?

बहुत ऊंचे पर्वत अंजनी पर्वत पर महाबली हनुमान का मंदिर है। इस मंदिर में हमेशा अखंड पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार किष्किंधा वानरों की राजधानी थी। यहां का नजारा इंसानों के लिए किसी चमत्कार जैसा है।

बजरंगबली की पूजा का महत्व

रामभक्त हनुमान को संकटमोचन कहा जाता है। जो व्यक्ति हनुमान जी की पूजा करता है उसे भगवान राम, शिव और शनि की कृपा भी प्राप्त होती है। मान्यता के अनुसार, जो लोग शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से परेशान हैं उन्हें हनुमानजी की पूजा करने से राहत मिलती है। इससे मंगल दोष भी दूर होता है।