MP जबलपुर के संविधान चौक स्थित इस सूर्य देव मंदिर की आधारशिला वर्ष 1981 में रखी गई थी। इस मंदिर की स्थापना रघुवंशी रविदास ने की थी। इस मंदिर के पुजारी ने बताया कि भगवान सूर्य का यह मंदिर जबलपुर शहर में भगवान सूर्य का एकमात्र और पहला मंदिर है। इस मंदिर के प्रति कई भक्तों की विशेष आस्था है।
हिंदू धर्म में सूर्य देव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जो पूरे विश्व में प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं सूर्य देव को शक्ति का स्रोत माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य भगवान के दर्शन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है। खास बात यह है कि सूर्य भगवान एकमात्र ऐसे देवता हैं जो आपकी पूजा न करने पर भी आपके सामने अवश्य प्रकट होते हैं। भारत में सूर्य भगवान के कई दिव्य स्थान हैं और आज हम आपको MP के जबलपुर शहर में सूर्य भगवान के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो जबलपुर में सूर्य भगवान का एकमात्र और पहला मंदिर है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य भगवान प्रत्यक्ष दर्शन देने वाले देवता हैं। पौराणिक वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा और ईश्वर की आंख बताया गया है। सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में शक्ति, मानसिक शांति, ऊर्जा और सफलता मिलती है। यही कारण है कि लोग उगते सूर्य की पूजा करते हैं। यह भी माना जाता है कि सूर्य देव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। रामायण में यह भी उल्लेख है कि भगवान राम ने लंका में पुल बनाने से पहले सूर्य की पूजा की थी। भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने भी सूर्य की आराधना करके कुष्ठ रोग से मुक्ति पायी थी।
क्या है इस मंदिर की मान्यता?
जबलपुर के संविधान चौक स्थित इस सूर्य देव मंदिर की आधारशिला वर्ष 1981 में रखी गई थी। इस मंदिर की स्थापना रघुवंशी रविदास ने की थी। इस मंदिर के पुजारी ने बताया कि भगवान सूर्य का यह मंदिर MP जबलपुर शहर में भगवान सूर्य का एकमात्र और पहला मंदिर है। इस मंदिर से कई भक्तों की विशेष आस्था जुड़ी हुई है। यहां और विदेशों में रहने वाले भक्त जो इस मंदिर से जुड़े हुए हैं, उन्हें जब भी अपने शहर आना होता है, तो वे यहां जरूर आते हैं और रोज सुबह सूर्य भगवान के 12 नामों का जाप करते हैं। सुबह सूर्य देव को जल चढ़ाने से न सिर्फ बीमारियों से राहत मिलती है बल्कि मनचाहा वरदान भी मिलता है।मंदिर में स्थापित सूर्य देव की यह प्रतिमा पूरे शहर में एकमात्र अनोखी प्रतिमा है जिसमें सूर्य देव के दर्शन होते हैं। उनके रथ में 7 घोड़े होते हैं, उन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो सूर्य देव उनके रथ पर बैठकर पृथ्वी का भ्रमण कर रहे हों।